दुनिया में छा जाने को बेताब हमारी मंजूषा
भागलपुर VON NEWS: “लोक कला” मंजूषा का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसके छा जाने की उम्मीद बढ़ी है। दैनिक जागरण के ‘घर सजे मंजूषा से’ अभियान से प्रेरित होकर रेशम वस्त्र व्यापारियों ने व्यावसायिक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार विदेशों में करने का भरोसा दिया है। इतना ही नहीं, मंजूषा भागलपुर को स्मार्ट सिटी बनाने में भी भागीदार बनेगी।
पिछले दिनों मंजूषा महोत्सव में आए भागलपुर स्मार्ट सिटी के सीईओ का कहना था कि उनकी योजना शहर की दीवारों को मंजूषा के रंग में रंगने की है। ताकि हर कोई इस कला को जान सके और मंजूषा भागलपुर की पहचान बन सके। कोई भी शहर अपनी संस्कृति और परंपराओं से विलग होकर आगे नहीं बढ़ सकता है। मंजूषा इन दोनों का प्रतिनिधित्व करती है। इसे आगे बढ़ाने के लिए व्यवसाय से जोडऩा भी जरूरी है। इसके लिए स्मार्ट सिटी के तहत बनने जा रहे टाउन हॉल में स्थायी स्टॉल बनाया जाएगा। जहां मंजूषा कलाकार अपने उत्पाद को बेचे सकेंगे।
एक ओर जहां मंजूषा को व्यवसायियों और“कलाकारों का साथ मिल रहा है तो वहीं दूसरी ओर इससे जुड़े कलाकार भी हर जतन के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। पिछले दिनों दैनिक जागरण कार्यालय में हुई परिचर्चा में हर कोई मंजूषा कला के विकास के लिए संकल्पित दिखा। इस परिचर्चा में शहर के बुद्धिजीवियों के साथ ही व्यवसायी और मंजूषा कलाकार भी आए थे। व्यवसायियों ने जब कला में प्रोफेशनल होने का सवाल उठाया तो कलाकारों ने एक स्वर में कहा कि वे बदलाव के लिए भी तैयार हैं। भले ही यह बदलाव परंपरागत रंग-संयोजन या कला के विषय के स्तर पर हो।
गांव में भी मिलेगा विस्तार
अंग क्षेत्र की लोक संस्कृति रही मंजूषा कभी हर घर की शोभा बढ़ाती थी। गांव की नई पीढ़ी इससे छूटती चली गई। इसे जोडऩे के लिए पिछले दिनों मोहनपुर चैती दुर्गा मंदिर परिसर में संगोष्ठी हुई थी। इसमें शामिल हुए साहित्यकार, कलाकार और ग्रामीणों ने मंजूषा कला को घर-घर तक पहुंचाने का संकल्प लिया। यह निर्णय लिया गया कि मंजूषा कला प्रशिक्षण और शोध केंद्र बनाकर कलाकारों का जत्था गृहणियों को जागरूक भी करेगा। जरूरत पडऩे पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
“सरकार” भी देगी मदद
मंजूषा कलाकारों को सरकार भी सहायता देगी। इसके लिए भागलपुर के 600 कलाकारों का चयन किया गया है। उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा का कहना है कि अप्रैल में भागलपुर में समारोह आयोजित कर पांच हजार रुपये की पेंटिंग सामग्री की किट उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि कलाकार अपने घरों में मंजूषा पेंटिंग के हस्तशिल्प तैयार कर सकें। दिल्ली व पटना में बिहार दिवस में मंजूषा कला का प्रदर्शन होगा।
युवा भी तेजी से जुड़ रहे
मंजूषा कला से शहर के युवा तेजी से जुड़ रहे हैं। फाइन आर्ट के साथ इसे जोड़ कला को विस्तार दे रहे हैं। इसका असर भी दिखने लगा है। इसका फैशन पक्ष भी उभरकर सामने आ रहा है। मंजूषा महोत्सव में आयोजित रैंप शो में युवाओं ने इसकी झलक भी दिखाई। लोगों ने इसकी खूब प्रशंसा की।
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