मौन रहो तो ही अच्छा , कम से कम विष तो मत घोलो, पुष्प नही बन सकते तो, तुम कांटे बन कर मत रहना
कोसने से क्या हासिल हो जायेगा ? ऐसे में तो कंधे से कन्धा मिलाकर हौसला बढ़ाना चाहिए .
देहरादून : वॉयस ऑफ़ नेशन (मनीष वर्मा) : जहां मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के अथक प्रयासों से प्रवासियों के चेहरे पर मुस्कान व् राहत दिख रही है क्यूंकि मुख्यमंत्री ने केंद्र से अपने मधुर सम्बन्धो के चलते से प्रवासियों के लिए स्पेशल ट्रेने राज्य सरकार की ओर से खर्चा वहन करके चलवाई और अब यही मिसाल और प्रदेशो के लिए भी बन गयी है पर कुछ ऐसे असामाजिक तत्व भी है जो समाज व् प्रवासियो को गुमराह कर रहे है और हर अच्छे किये जा रहे सरकारी कार्य में नुक्ता चीनी निकाल कर सोशल मीडिया में उहापोह की स्तिथि पैदा कर रहे है
आपको बता दे की अब तक मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के अथक प्रयासों का ही फल है कि एक लाख से ऊपर प्रवासीयो कि घरवापसी हो चुकी है व् अब भी उनको वापस लाने का क्रम जारी है
पर ऐसे में एक प्रश्न खड़ा होता है कि हम क्या सम्मान कर रहे है उस व्यक्ति का जो अपना दिन और रात का सुख चैन छोड़ कर मेहनत कर रहा है अपने प्रदेश वासियो को वापस लाने मे ?
क्या यह हमारी संस्कृति है ? क्या यही हमारा धन्यवाद देने का तरीका है ? क्या यही इंसानियत हम सब में भरी है ?
अरे भाई , जो आ गए है उनसे तो पूछो कि कितनी मुश्किल से लाये है उनको और आने के बाद भी पूरा ख्याल रक्खा जा रहा है।
हालांकि देखा जाये तो किसने कहा था अपना प्रदेश छोड़ कर जाओ ? और गए तो अपना कमा और खा ही रहे थे पर क्या जहां गए थे क्या वो काम आये ?आखिर काम तो अपना ही आ रहा है न ? थोड़ी देर सबेर हो गयी कोआर्डिनेशन में पर मना तो नहीं किया ले तो आये …..
हमें देखिये उत्तराखंड राज्य आंदोलन में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ और पत्रकार होने के नाते अहम भूमिका निभाई है और अपने लेख से अलख जगाई थी और आज भी अपना धर्म निभा रहे है। आप लोगो को भी राज धर्म निभाना है
ये बाते कई तरह के ख्याल मन में ले आती है कि ऐसे में जब आपके लिए दिन रात लड़ रहे मुख्यमंत्री का आप सबको हौसला बढ़ाना चाहिए और उनको कहना चाहिए कि “ हम आपके साथ खड़े है ” और आपके एक आदेश पर कार्य हेतु तैयार है कि बजाय सोशल मीडिया में ड्रामा कर रहे है ?क्या हो जायेगा लिख कर ? उल्टा अपनी और अपने प्रदेश व प्रदेश वासियो कि बेईज्जती करवा रहे है। यह सन्देश खास कर उन लोगो के लिए है जो यहां रहते भी नहीं पर सोशल मीडिया में ऐसे दर्शाते है कि उन्हें यहाँ कि बड़ी चिंता है
अरे भाई त्रिवेन्द्र सिंह रावत को न तो किसी पहचान कि जरुरत है न किसी के द्वारा कि जा रही निंदा या स्तुति की। उन्हें तो सिर्फ चाहिए आपकी दुआये…. आपका प्यार ….आपका अपनापन……. आपका साथ
क्या इतना भी नहीं कर सकते हम अपने राजा /मुखिया के लिए ? क्या प्रजा /जनता का भी तो कोई राजधर्म होता होगा ?
भूल जाइये राजनीती ,तेरा – मेरा, इसका – उसका कुछ समय के लिए और मार भगाइये इस कॉरोना रूपी राक्षश को एक होकर और दिखा दीजिये देश दुनिया की हम उत्तराखंडी किसी से काम नहीं ।
जरा सोचिये की आपका क्या योगदान है ?
जय भारत जय उत्तराखंड
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